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अर्जुन की छाल के फायदे और नुकसान

Writer: AdminAdmin

Updated: Feb 5, 2022

अर्जुन की छाल एक तरह से आयुर्वेदिक मेडिसन है जिसका इस्तेमाल कईं तरह की बिमारियों को दूर करने के लिए किया जाता है. दरअसल, अर्जुन की छाल (arjun ki chaal) एक तरह से पेड़ है जिसके पत्ते अमरुद के पत्तों से आकार में बड़े होते हैं. इसको वैज्ञानिक भाषा में टर्मिमिनेलिया अर्जुना कहा जाता है. यह आम तौर पर कहुआ तथा सादड़ी नाम से जाना जाता है. भारत में हिमालय की तराई, बिहार और मध्य प्रदेश में इसे अधिक मात्रा में पाया जाता है. इसमें मौजूद पोषक तत्व इसको ख़ास बनाते हैं.





अर्जुन का परिचय (Introduction of Arjun)

सदियों से आयुर्वेद में सदाबहार वृक्ष अर्जुन को औषधि के रुप में ही इस्तेमाल किया गया है। आम तौर पर अर्जून की छाल और रस का औषधि के रुप में इस्तेमाल किया जाता रहा है। अर्जून नामक बहुगुणी सदाहरित पेड़ की छाल यानि अर्जुन की छाल के फायदे का प्रयोग हृदय संबंधी बीमारियों , क्षय रोग यानि टीबी जैसे बीमारी के अलावा सामान्य कान दर्द, सूजन, बुखार के उपचार के लिए किया जाता है।


अर्जुन प्रकृति से शीतल, हृदय के लिए हितकारी, कसैला; छोटे-मोटे कटने-छिलने पर, विष, रक्त संबंधी रोग, मेद या मोटापा, प्रमेह या डायबिटीज, व्रण या अल्सर, कफ तथा पित्त कम होता है। अर्जुन से हृदय की मांसपेशियों को बल मिलता है, हृदय की पोषण-क्रिया अच्छी होती है। मांसपेशियों को बल मिलने से हृदय की धड़कन ठीक और सबल होती है। सूक्ष्म रक्तवाहिनियों (artery)  का संकोच होता है, इस प्रकार इससे हृदय सशक्त और उत्तेजित होता है। इससे रक्त वाहिनियों के द्वारा होने वाले रक्त का स्राव भी कम होता है, जिससे सूजन कम होती है।


अर्जुन के फायदे  (Arjuna Uses and Benefits)

आयुर्वेद में अर्जुन के पेड़ का प्रयोग औषध के रूप में फल और छाल के रूप में होता है। अर्जुन की छाल के फायदे में सबसे ज्यादा उपकारी टैनिन होता है, इसके साथ पोटाशियम, मैग्निशियम और कैल्शियम भी होता है।


कान के दर्द में अर्जुन के फायदे (Arjun Tree Benefits in Ear Pain)

3-4 बूँद अर्जुन के पत्ते का रस कान में डालने से कान का दर्द कम होता है।


मुखपाक से दिलाये राहत अर्जुन (Benefits of Arjuna helps for Stomatitis)

अर्जुन मूल चूर्ण में मीठा तैल (तिल तैल) मिलाकर मुँह के अंदर लेप कर लें। इसके पश्चात् गुनगुने पानी का कुल्ला करने से मुखपाक में लाभ होता है।


हृदय को स्वस्थ रखे अर्जुन की छाल (Arjun Chaal Benefits for Healthy Heart)

 अर्जुन की छाल के फायदे हृदय रोग में सबसे ज्यादा होते हैं, लेकिन इसके लिए ज़रूरी है कि अर्जुन की छाल का प्रयोग कैसे करें इसके बारे में सही जानकारी होनी चाहिए-

  • हृदय की सामान्य धड़कन जब 72 से बढ़कर 150 से ऊपर रहने लगे तो एक गिलास टमाटर के रस में 1 चम्मच अर्जुन की छाल का चूर्ण मिलाकर नियमित सेवन करने से शीघ्र ही लाभ होता है।

  • अर्जुन छाल के 1 चम्मच महीन चूर्ण को मलाई रहित 1 कप दूध के साथ सुबह-शाम नियमित सेवन करते रहने से हृदय के समस्त रोगों में लाभ मिलता है, हृदय को बल मिलता है और कमजोरी दूर होती है। इससे हृदय की बढ़ी हुई धड़कन सामान्य होती है।

  • 50 ग्राम गेहूँ के आटे को 20 ग्राम गाय के घी में भून लें, गुलाबी हो जाने पर 3 ग्राम अर्जुन की छाल का चूर्ण और 40 ग्राम मिश्री तथा 100 मिली खौलता हुआ जल डालकर पकाएं, जब हलुवा तैयार हो जाए तब प्रात सेवन करें। इसका नित्य सेवन करने से हृदय की पीड़ा, घबराहट, धड़कन बढ़ जाना आदि विकारों में लाभ होता है।

  • 6-10 ग्राम अर्जुन छाल चूर्ण में स्वादानुसार गुड़ मिलाकर 200 मिली दूध के साथ पकाकर छानकर पिलाने से हृद्शोथ का शमन होता है।

  • 50 मिली अर्जुन छाल रस, (यदि गीली छाल न मिले तो 50 ग्राम सूखी छाल लेकर, 4 ली जल में पकाएं। जब चौथाई शेष रह जाए तो क्वाथ को छान लें), 50 ग्राम गोघृत तथा 50 ग्राम अर्जुन छाल कल्क में दुग्धादि द्रव पदार्थ को मिलाकर मन्द अग्नि पर पका लें। घृत मात्र शेष रह जाने पर ठंडा कर छान लें। अब इसमें 50 ग्राम शहद और 75 ग्राम मिश्री मिलाकर कांच या चीनी मिट्टी के पात्र में रखें। इस घी को 5 ग्राम  प्रात सायं गोदुग्ध के साथ सेवन करें। इसके सेवन से हृद्विकारों का शमन होता है तथा हृदय को बल मिलता है।

  • हृदय रोगों में अर्जुन की छाल के कपड़छन चूर्ण का प्रभाव इन्जेक्शन से भी अधिक होता है। जीभ पर रखकर चूसते ही रोग कम होने लगता है। इसे सारबिट्रेट गोली के स्थान पर प्रयोग करने पर उतना ही लाभकारी पाया गया। हृदय की धड़कन बढ़ जाने पर, नाड़ी की गति बहुत कमजोर हो जाने पर इसको रोगी की जीभ पर रखने मात्र से नाड़ी में तुंत शक्ति प्रतीत होने लगती है। इस दवा का लाभ स्थायी होता है और यह दवा किसी प्रकार की हानि नहीं पहुंचाती तथा एलोपैथिक की प्रसिद्ध दवा डिजीटेलिस से भी अधिक लाभप्रद है। यह उच्च रक्तचाप में भी लाभप्रद है। उच्च रक्तचाप के कारण यदि हृदय में शोथ (सूजन) उत्पन्न हो गयी हो तो उसको भी दूर करता है।


बुखार में फायदेमंद अर्जुन (Arjun Chal Beneficial in Fever)

अगर मौसम के बदलने के वजह से या किसी संक्रमण के कारण बुखार हुआ है तो उसके लक्षणों से राहत दिलाने में अर्जुन बहुत मदद करता है।

  1. अर्जुन छाल का काढ़ा या अर्जुन की छाल की चाय बनाकर  20 मिली मात्रा में पिलाने से बुखार से राहत मिलती है।

  2. 1 चम्मच अर्जुन छाल चूर्ण को गुड़ के साथ सेवन करने से बुखार का कष्ट कम होता है।

  3. 2 ग्राम अर्जुन छाल के चूर्ण में समान मात्रा में चंदन मिलाकर, शर्करा-युक्त तण्डुलोदक (चीनी और चावल से बना लड्डू) के साथ सेवन करने से अथवा अर्जुन छाल से बना हिम, काढ़ा, पेस्ट या रस का सेवन करने से रक्तपित्त में लाभ होता है।


पिंपल्स से दिलाये छुटकारा अर्जुन की छाल (Arjuna Tree to Treat Pimples)

आजकल के प्रदूषण भरे वातावरण में मुँहासे से कौन नहीं परेशान है! लेकिन अर्जुन की छाल न सिर्फ मुँहासों से छुटकारा दिलाने में मदद करेगा बल्कि चेहरे की कांति भी बढ़ जायेगी। अर्जुन की छाल के चूर्ण को मधु में मिलाकर लेप करने से मुँहासों तथा व्यंग में फायदा मिलता है।



हड्डी जोड़ने में करे मदद अर्जुन (Arjuna Chal Beneficial in Bone Fracture)

अगर किसी कारण हड्डी टूट गई है या हड्डियां कमजोर हो गई हैं तो अर्जुन छाल के फायदे बहुत लाभकारी सिद्ध होते हैं। अर्जुन छाल का प्रयोग करने से हड्डी के दर्द से न सिर्फ आराम मिलता है बल्कि हड्डी जुड़ने में भी सहायता मिलती है।

  • एक चम्मच अर्जुन छाल चूर्ण को दिन में 3 बार एक कप दूध के साथ कुछ हफ्ते तक सेवन करने से हड्डी मजबूत होती जाती है। भग्न अस्थि या टूटी हुई हड्डी के स्थान पर इसकी छाल को घी में पीसकर लेप करें और पट्टी बाँधकर रखें, इससे भी हड्डी शीघ्र जुड़ जाती है।

  • अर्जुन की छाल से बने 20-40 मिली क्षीरपाक में 5 ग्राम घी एवं मिश्री मिलाकर पीने से अस्थि भंग (टूटी हड्डी) में लाभ होता है।

  • अर्जुन की त्वचा तथा लाक्षा को समान मात्रा में लेकर पीसकर चूर्ण बना लें। 2-4 ग्राम में गुग्गुलु तथा घी मिलाकर सेवन करने से तथा भोजन में घी व दूध का प्रयोग करने से शीघ्र भग्न संधान होता है।

  • समान मात्रा में हड़जोड़, लाक्षा, गेहूँ तथा अर्जुन का पेस्ट (1-2 ग्राम) अथवा चूर्ण (2-4 ग्राम) में घी मिलाकर दूध के साथ पीने से अस्थिभग्न एवं जोड़ो से हड्डियों के छुट जाने में लाभ होता है।


पेट की गैस ऊपर आने में करे मदद अर्जुन (Arjuna for Burping)

अर्जुन की छाल के फायदे एसिडिटी से राहत दिलाने में भी बहुत मददगार होते हैं। अर्जुन की छाल के फायदे का पूरा लाभ उठाने के लिए अर्जुन की छाल का प्रयोग कैसे करें, ये जानना बहुत ज़रूरी है।

10-20 मिली अर्जुन छाल  के काढ़े का नियमित सेवन करने से उदावर्त्त या पेट की गैस ऊपर आती है और एसिडिटी से राहत मिलती है।





अर्जुन की छाल के नुकसान (Arjun ki Chaal Side Effects)

अर्जुन की छाल वाला यह पेड़ आम तौर पर हिमालय की तलहटी पर पाया जाता है. इसके फल एवं छाल के ढेरों औषधीय गुण हैं जो हृदय रोग, मधुमेह, चमड़ी रोग आदि जैसे रोगों को मिटाने के लिए वरदान साबित होते हैं. वहीँ इस अर्जुन की छाल के नुक्सान भी हैं जो आपके लिए जानलेवा साबित हो सकती है.


शुगर लेवल में कमी

अर्जुन की छाल (arjun ki chaal) में टैनिन, पोटाशियम, मैग्नीशियम, अर्जुनिक एसिड आदि तत्व भारी मात्रा में मौजूद होते हैं जो हमारे शरीर के रक्तचाप और रक्त में शक्कर की मात्रा को निर्धारित करते हैं. लेकिन यदि आप डाइबटीज अर्थात मधुमेह से पीड़ित हैं तो आपको इसके सेवन से पहले एक बार अपने डॉक्टर से सलाह जरुर ले लेनी चाहिए अन्यथा अधिक मात्रा में ली गई अर्जुन की छाल आपके शुगर लेवल को काफी नीचे गिरा सकती है जिससे आप कोमा में भी जा सकते हैं.


हड्डियों एवं स्पाइन में प्रोब्लम

इस बात में कोई दो राय नहीं है कि अर्जुन की छाल (arjun ki chaal) हमारे लिए सबसे लाभकारी है लेकिन कईं बार हम इसे जरूरत से अधिक इस्तेमाल कर लेते हैं. हमारी यह छोटी सी भूल हमे हमारी जान का दुश्मन बना देती है. बता दें कि अर्जुन की छाल का इस्तेमाल वज़न घटाने के लिए किया जाता है लेकिन आत्य्धिक वेट-लोस भी आपको नुकसान पहुंचा सकता है और आपकी हड्डियों को कमजोर एवं स्पाइन को डैमेज कर सकता है.



अर्जुन की छाल (Arjun ki chaal) खाने का सही तरीका

  • आयुर्वेद में हर चीज़ खाने का एक सही तरीका एवं समय बताया गया है. ठीक उसी तरह अर्जुन की छाल के सेवन के लिए भी एक तरीका होता है. इस तरीके से यदि इस छाल का सेवन किया जाए तो यह आपके लिए फायदेमंद साबित होगा.

  • अर्जुन की छाल (arjun ki chaal) का पाउडर बना कर उसे पानी में मिला कर भोजन करने से पहले 50 मिलीलीटर लिया जा सकता है. हो सके तो इस छाल का सेवन दिन में दो बार जरुर करें.

  • एक चम्मच छाल के पाउडर को दो कप पानी मिला कर उबाल लें और जब पानी आधा रह जाए तो इसे चान कर गुनगुना पी लें.

  • इस पाउडर को दूध में मिला कर भी पीया जा सकता है.





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